इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) व्रत का पितृ पक्ष में क्या है महत्व और कब है एकादशी 2025 


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वैसे तो दो एकादशी हर महीने आती है लेकिन इंदिरा एकादशी आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि में पितृ पक्ष के समय मनाई जाती है और हिन्दू धर्म में इसका बहुत महत्व है । इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा, व्रत, पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अच्छे शुद्ध और श्रद्धा भाव से व्रत पूजा और अच्छे काम करने से पितरों को मुक्ति मिलती है|  

इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त 2025 

पितृ पक्ष में पड़ने वाली इस एकादशी का बहुत विशेष स्थान है। हिन्दू शस्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत पूजन करने से उसका फल उस व्यक्ति के लिए ही फलदायी नहीं होता बल्कि इस व्रत से उसके पूर्वजों को भी मोक्ष मिल जाता है| इस वर्ष यह एकादशी पितृपक्ष की 17 सितंबर 2025 को मनाई जा रही है| पंचांग के अनुसार, एकादशी 16 सितम्बर से रात में 12 बजकर 23 मिनट से लगेगें और 17 तारीख की रात में 11 बजकर 40 मिनट तक एकादशी रहेगी। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:33 से 05:20, सूर्योदय सुबह 06:07, विजय मुहूर्त दोपहर 02:18 से 03:07, गोधूलि मुहूर्त शाम 06:24 से 06:47, सूर्यास्त शाम 06:24 PM, निशिता मुहूर्त रात 11:52 से 12:39 तक रहेगा|  

आइए जानते हैं इस पवित्र एकादशी का व्रत महत्व और इससे जुड़ी मान्यताएं। 

इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व 

पौराणिक मान्यताओं और ग्रंथों के अनुसार, पितृपक्ष के समय किया गया इंदिरा एकादशी व्रत हजारों वर्षों की तपस्या के बराबर होता है।ऐसा भी कहा जाता है कि इस एकादशी में किया गया व्रत से सात पीढ़ियों तक के पितृ तर जाते हैं और उन्हें मोक्ष मिल जाता है, और साथ ही पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। 

इस एकादशी पर भगवान विष्णु का पूजन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए, घी, दूध, दही, अन्न और वस्त्र आदि का दान करना चाहिए, पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें, जरूरतमंदों को भोजन करायें| ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं, घर में सुख-समृद्धि,आती है और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 


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soochnachakra

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