जगन्नाथ पुरी एक प्रमुख और बहुत मान्यता वाला तीर्थ स्थल है| यहाँ भगवान जगन्नाथ का मंदिर और जगन्नाथ मंदिर, रथयात्रा बहुत प्रसिद्ध है और हिन्दू धर्म में इसकी बहुत मान्यता है| पुरी में महानदी और भार्गवी नदी के तट पर पितृपक्ष में पिंडदान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर यहाँ पिंडदान करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और पितरों को मोक्ष मिलता है|
हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद किए जाने वाले श्राद्ध और पिंड दान का बहुत महत्व है| पितृपक्ष ये दिन बहुत पवित्र होते हैं| ऐसा माना जाता है कि यह अनुष्ठान करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है| पिंड दान में पंडित द्वारा पूरे विधि- विधान से पिंडों को पूर्वजों को अर्पित किया जाता है| जग्गनाथ पुरी के अलावा भी कुछ ऐसे पवित्र स्थान हैं जहाँ पिंड दान का अनुष्ठान किया जाता है| गया, हरिद्वार, वाराणसी (काशी), बद्रीनाथ, मथुरा, कुरुक्षेत्र, पुष्कर आदि बहुत से स्थान हैं जहाँ पिंड दान का अनुष्ठान किया जाता है|
पुरी में पिंडदान करना क्यों है अच्छा
पुरी का धार्मिक महत्व केवल जगन्नाथ मंदिर ही नहीं यहाँ बहने वाली भार्गवी नदी का भी बहुत महत्व है और इसे बहुत पवित्र माना जाता है यहाँ धार्मिक मान्यताओ के अनुसार नदी और समुद्र के संगम को बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है| क्योंकि यहाँ पर पिंड दान करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है और वो इस जन्म- मरण के फेर से मुक्त हो जाते हैं |
पिंडदान क्या होता है और इसका महत्व
पिंडदान एक बहुत विशेष अनुष्ठान है ऐसा माना जाता ही कि इस पूजा को करने से दिवंगत की आत्मा को शांति मिलती है और वो जन्म मरण के चक्र से छूट जाता है| इस अनुष्ठान से हम अपने पूर्वजों के प्रति हमारे मन में श्रद्धा और सम्मान होता है उसे प्रकट करते हैं जो सीधे हमारे पितरों तक पहुँचता है| इस पूजा में पंडित या ब्रह्मण द्वारा पूरे विधि- विधान से मंत्रोच्चारण के साथ चावल, जौ, तिल और आटे से बने पिंडों को पूर्वजों को अर्पित किया जाता है|
पितृपक्ष के दिन बहुत ही पवित्र माने जाते हैं इन दिनों में हम अपने पितरों के लिए सम्मान प्रकट करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं|
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