Sharad Purnima 2025: आज बरसेगा अमृत! जानिए शरद पूर्णिमा की तिथि, पूजा विधि, और महत्व


0

नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। यह दिन बेहद शुभ और आध्यात्मिक माना जाता है क्योंकि मान्यता है कि इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ उदित होता है और धरती पर अमृत की वर्षा करता है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

इस वर्ष शरद पूर्णिमा 2025 सोमवार, 6 अक्टूबर को मनाई जा रही है।

शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

पुराणों में वर्णित है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति रातभर जागकर उनका ध्यान या पूजन करता है, उसे सुख, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
इसीलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा कहा गया है — “को जागर्ति?” अर्थात “कौन जाग रहा है?”

इसके साथ ही, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज की गोपियों के साथ महारास रचाया था, जो प्रेम, भक्ति और दिव्यता का प्रतीक है।

शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और चंद्र दर्शन का समय

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर 2025, सुबह 09:38 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर 2025, सुबह 07:52 बजे
  • चंद्र दर्शन का शुभ समय: रात 11:30 बजे से 12:45 बजे तक

शरद पूर्णिमा की खीर परंपरा

इस दिन का सबसे खास हिस्सा है — चाँदनी में रखी खीर।
माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो खीर में समा जाते हैं।
इसलिए भक्तजन दूध और चावल की खीर बनाकर रातभर चाँदनी में रखते हैं और सुबह इसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अर्पित करते हैं।
इसके बाद यह खीर परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में दी जाती है।

यह परंपरा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी लाभदायक है — क्योंकि यह शरीर को ठंडक पहुंचाती है और नींद, तनाव और पाचन से जुड़ी समस्याओं को कम करती है।

शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो इस समय चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, जिससे उसकी रोशनी का असर वातावरण और मानव शरीर पर अधिक पड़ता है।
इस दिन की चाँदनी शरीर के तापमान को संतुलित करती है, हार्मोन बैलेंस में मदद करती है और मन को शांति देती है।
इसी कारण प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि इस रात ध्यान और साधना करते थे।

शरद पूर्णिमा पर क्या करें और क्या न करें

क्या करें?

  • मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • रात्रि जागरण या ध्यान करें।
  • दूध-चावल की खीर बनाकर चाँदनी में रखें।
  • जरूरतमंदों को दान करें।

क्या न करें?

  • मांस-मदिरा का सेवन न करें।
  • नकारात्मक विचार या झगड़ा न करें।

यह दिन हमें सिखाता है कि शुद्ध मन, सकारात्मक सोच और भक्ति से ही सच्चा सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की आराधना करें, चाँदनी में कुछ पल बिताएँ और जीवन में अमृत समान शांति का अनुभव करें।


Like it? Share with your friends!

0
soochnachakra

0 Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *